Mahakal Stotra Benefits

Bhakti Sarovar
3 min readApr 28, 2020
Mahakaleshwar Jyotirlinga, Ujjain, Madhya Pradesh

भगवान महाकाल को तीनो लोकों में विद्यमान सभी शिवलिंगों में प्रधान कहा गया है, वराह पुराण में कहा गया है नाभिदेशे महाकालस्तन्नाम्ना तत्र वै हर: अर्थात नाभिदेश उज्जैन में स्थित भगवान महाकालेश्वर तीनों लोकों में पूज्यनीय हैं।

आकाशे तारकांलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्।
मृत्युलोके महाकालं, सर्वलिंग नमोस्तुते

अर्थात, आकाश में तारकालिंग, पाताल में हाटकेश्वर, तथा पृथ्वीलोक में महाकाल है।

ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर का स्मरण कर, अति दुर्लभ श्री महाकालेश्वर स्तोत्रम् का जाप करना अत्यंत ही फलदायी माना गया ही। प्रतिदिन एक बार श्री महाकालेश्वर स्तोत्रं का जाप करना चाहिये, इस स्तोत्र जप से पहले और स्तोत्र जप के बाद महाकाल मंत्र “ हूं हूं महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा को 11 बार पढ़ना चाहिये। ऐसा करने से यह स्तोत्र मन्त्र द्वारा संपुटित हो जाता है जो पूर्ण फल प्रदान करने वाला है।

Sri Mahakala Stotram — श्री महाकाल भैरवस्तोत्रम् अथवा श्री महाकालस्तोत्रम्

ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते ।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तु ते ॥ १॥

महाकाल महादेव महाकाल महाप्रभो ।
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोऽस्तु ते ॥ २॥

महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोऽपहन् ।
महाकाल महाकाल महाकाल नमोऽस्तु ते ॥ ३॥

भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः ।
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नमः ॥ ४॥

उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः ।
भीमाय च नमस्तुभ्यं ईशानाय नमो नमः ॥ ५॥

ईशानाय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः ॥ ६॥

सद्योजात नमस्तुभ्यं शुक्लवर्ण नमो नमः ।
अधः कालाग्निरुद्राय रुद्ररूपाय वै नमः ॥ ७॥

स्थित्युत्पत्तिलयानां च हेतुरूपाय वै नमः ।
परमेश्वररूपस्त्वं नील एवं नमोऽस्तु ते ॥ ८॥

पवनाय नमस्तुभ्यं हुताशन नमोऽस्तु ते ।
सोमरूप नमस्तुभ्यं सूर्यरूप नमोऽस्तु ते ॥ ९॥

यजमान नमस्तुभ्यं आकाशाय नमो नमः ।
सर्वरूप नमस्तुभ्यं विश्वरूप नमोऽस्तु ते ॥ १०॥

ब्रह्मरूप नमस्तुभ्यं विष्णुरूप नमोऽस्तु ते ।
रुद्ररूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोऽस्तु ते ॥ ११॥

स्थावराय नमस्तुभ्यं जङ्गमाय नमो नमः ।
नमः स्थावरजङ्गमाभ्यां शाश्वताय नमो नमः ॥ १२॥

हुं हुङ्कार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः ।
अनाद्यन्त महाकाल निर्गुणाय नमो नमः ॥ १३॥

प्रसीद मे नमो नित्यं मेघवर्ण नमोऽस्तु ते ।
प्रसीद मे महेशान दिग्वासाय नमो नमः ॥ १४॥

ॐ ह्रीं मायास्वरूपाय सच्चिदानन्दतेजसे ।
स्वाहा सम्पूर्णमन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः ॥ १५॥

॥ फलश्रुति ॥

इत्येवं देव देवस्य महाकालस्य भैरवि ।
कीर्तितं पूजनं सम्यक् साधकानां सुखावहम् ॥ १६॥

॥ श्रीमहाकालभैरवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

इस स्तोत्र को सर्वप्रथम भगवान महाकाल ने माँ भैरवी को बताया था, भगवान कृष्ण इन सहस्त्र शिव नामों के महर्षि हैं। इस स्तोत्र में भगवान महाकाल के विभिन्न नामों का वर्णन करके स्तुति की गयी है।

Mahakaleshwar Jyotirlinga Mantra

शिव भक्तों के लिए यह स्तोत्र वरदान स्वरुप है, प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ करने से नवीन उर्जा का संचार होता है, सोमवार, प्रदोष या चतुर्दशी तिथि में श्रीमहाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का ध्यान कर भगवान शिव को बेलपत्र और जल अर्पित कर इस स्तोत्र का पाठ अति मंगलकारी है, यह दु:ख व दरिद्रता दूर करने वाला है।

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