Guru Gobind Singh Jayanti marks the birth anniversary of the tenth Sikh master, Shree Guru Govind Singh Ji Maharaj. He was brought into the world in Patna and arose as an extraordinary motivation for the whole world. Here are a few of Guru Gobind Singh Quotes in Hindi.
ईश्वर ने हमें इसलिये जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराईयों को दूर करें।
जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।
जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तो सत्य के लिये हाथ में तलवार उठाना सही है।
कभी भी असहायों पर अपनी तलवार ना चलायें, अन्यथा विधाता आपका रक्त बहायेगा।
हे ईश्वर मुझे आशीर्वाद दें कि मैं कभी अच्छे कर्म करने में संकोच ना करूँ।
सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होती है, जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है।
सेवक नानक भगवान के दास हैं, अपनी कृपा से, भगवान उनका सम्मान सुरक्षित रखते हैं।
हर कोई उस सच्चे गुरु की जय-जयकार और प्रशंसा करे जो हमें भगवान की भक्ति के खजाने तक ले गया है।
जो लोग ईश्वर के नाम का ध्यान करते हैं, वे सभी शांति और सुख प्राप्त करते हैं।
मनुष्य का स्वार्थ ही, अनेक अशुभ विचारों को जन्म देता है।
अपनी जीविका को चलाने के लिए सदैव ईमानदारी पूर्वक काम करे।
मनुष्य को सुख और स्थायी शांति तभी प्राप्त होती है, जब वह अपने भीतर बैठे स्वार्थ को पूरी तरह से समाप्त कर देता है।
भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं।
बिना गुरु के किसी को भगवान का नाम नहीं मिला है।
हमेशा आप अपनी कमाई का दसवां भाग दान में दे दें। “Dasvand denaa” — Donate a tenth of your earnings.
विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद इंसान की सदैव हृदय से मदद करें। “Pardaesee, lorvaan, dukhee, apung manukh dee yataahshkat seva karnee” Do as much possible to serve and aid foreigners, those in need, or in trouble.
हमें उन सभी अनुष्ठानों को और उन विचारो को ह्रदय से हटा देना चाहिए, जो हमें प्रभु की भक्ति से दूर ले जाते हो।
किसी भी इंसान की चुगली-निंदा ना करे इससे बचे, और किसी भी इंसान से ईर्ष्या करने के बजाय अपने कार्यो पर ध्यान दे। Kisae dee ninda, chugalee, atae eirkhaa nahee karnee “Do not gossip, nor slander, or be spiteful to anyone.”
अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं, अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है।
आप अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी भी घमंडी ना बने इससे हमेशा बचे। “Dhan, javaanee, tae kul jaat da abhiman naee karnaa (Nanak daadak tahe duae goath. Saak guroo Sikhan sang hoath” Do not be proud of riches, youthfulness or lineage.
Guru Gobind Singh ji “Gobind Rai” was additionally an author and an artist. He had declared the Holy Scriptures of Guru Granth Sahib as the lasting Guru of Sikhism.
As a youngster, Guru Gobindh Singh ji learned numerous dialects including Sanskrit, Urdu, Hindi, Braj, Gurmukhi and Persian. Through hundreds of years, the lessons and shrewdness of Guru Gobind Singh Ji has been given to his devotees through sacred writings. He left his body on October 7 out in 1708.